अर्थः आमदनी हुई तो मौज मौज मनाना नहीं तो फाका करना।
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अर्थः आमदनी हुई तो मौज मौज मनाना नहीं तो फाका करना।
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टूयूशन मे जी भर के मौज मनाना, टीचर के आने पर उनको सताना ।
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• आई तो ईद, न आई तो जुम्मेरात-आमदनी हुई तो मौज मनाना नहीं तो फाका करना।
7.
भिखारी का मौज मनाना हम जैसों को कैसे रास आ सकता है वह तो सिर्फ हम सफेदपोश ही कर सकते हैं ।
8.
जून जुलाई-आज भी कितना याद आता है सीमा जी, दादी के घर जाना, मौज मनाना, पेडों पर चढ़ना फिर धम से गिर पड़ना, आम के बागों से सारे आम चुरा कर तोड़ना, कुँए से पानी निकालना और बाल्टी का वजन ज्यादा होने पर रस्सी को बाल्टी सहित छोड़ देना फिर बड़ों से डाट पड़ना, रात में दादी से कहानी सुनना और अगले दिन की शैतानियों की रूप रेखा तैयार करना....... कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन